trichoderma harzianum ट्राइकोडरमा विभिन्न प्रकार के फसलों, फलों एवं सब्जियों में जड़, सड़न, तना सड़न डैम्पिंग आफ, उकठा, झुलसा आदि फफॅूदजनित रोगों में लाभप्रद पाया गया है। धान, गेंहूँ, दलहनी फसलें गन्ना, कपास, सब्जियों, फलों आदि के रोगों का यह प्रभावी रोकथाम करता है। ट्राइकोडरमा के कवक तंतु हानिकारक फफूंदी के कवकतंतुओं को लपेट कर या सीधे अन्दर घुसकर उसका रस चूस लेते हैं। इसके अतिरिक्त भोजन स्पर्धा के द्वारा कुछ ऐसे विषाक्त पदार्थ का स्त्राव करते हैं, जो बीजों के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर हानिकारक फफूंदी से सुरक्षा देते हैं। ट्राइकोडरमा के प्रयोग से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है तथा फसलें फफूंदजनित रोगों से मुक्त रहती हैं। नर्सरी में ट्राइकोडरमा का प्रयोग करने पर जमाव एवं वृद्धि अच्छी होती है। ट्राइकोडरमा के प्रयोग से पहले एवं बाद में रासायनिक फफूंदीनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ट्राइकोडरमा की सेल्फ लाइफ सामान्य तापक्रम पर एक वर्ष है।
ट्राइकोडरमा के प्रयोग की विधि
- बीज शोधन हेतु 4 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किग्रा. बीज दर से शुष्क बीजोपचार कर बुवाई करना चाहिए।
- कन्द एवं नर्सरी पौध उपचार हेतु 5 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर उसमें कन्द एवं नर्सरी के पौधों की जड़ को शोधित कर बुवाई/रोपाई करना चाहिए।
- भूमि शोधन हेतु 2.5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर ट्राइकोडरमा को लगभग 75 कि.ग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुवाई से पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देना चाहिए।
- बहुवर्षीय पेड़ों के जड़ के चारों तरफ 1-2 फीट चौड़ा एवं 2-3 फीट गहरा गड्ढ़ा पौधे की कैनोपी के अनुसार खोदकर प्रति पौधा 100 ग्राम ट्राइकोडरमा को 8-10 कि.ग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर 8-10 दिन बाद तैयार ट्राइकोडरमा युक्त् गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाकर गड्ढ़ों की भराई करनी चाहिए।
विशेष लाभ :
यह(trichoderma harzianum) प्रबंधन का एक पर्यावरण-अनुकूल घटक है। यह सू्त्रकृमियों और कवक रोगजनकों के प्रबंधन के लिए उपयोगी है।
ट्राइकोडर्मा के फायदा
- इसका इस्तेमाल धान, गेहूं, दलहनी, औषधीय, गन्ना और सब्जी फसल में लगने वाले फफूंदी रोगों और उससे जुड़ी तना गलन की समस्या को भी दूर कर सकते हैं.|
- फसलों के अलावा, फलदार पेडों और फलों पर लगने वाले फफूंद रोगों को दूर करने में ट्राइकोडर्मा फंगस अहम रोल अदा करती है.|
- सिर्फ पौध सरंक्षण में ही नहीं, ये फसल के लिये डीकंपोजर का भी काम करती है, जिससे पौधों, घासों एवं फसल अवशेषों को जैविक खाद में भी बदल सकते हैं.|